Sunday, September 30, 2018

Thought of Lord Buddha ...

1. शक की आदत सबसे खतरनाक है। शक लोगों को अलग कर देता है। यह दो अच्छे दोस्तों को और किसी भी अच्छे रिश्ते को बरबाद कर देता है। 

2. अज्ञानी आदमी एक बैल के समान है। वह ज्ञान में नहीं, आकार में बढ़ता है।

3. क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकडे रहने के सामान है, इसमें आप ही जलते हैं।

4. इर्ष्या और नफरत की आग में जलते हुए इस संसार में खुशी और हंसी स्थाई नहीं हो सकती। अगर आप अँधेरे में डूबे हुए हैं, तो आप रौशनी की तलाश क्यों नहीं करते।

5. एक जागे हुए व्यक्ति को रात बड़ी लम्बी लगती है, एक थके हुए व्यक्ति को मंजिल बड़ी दूर नजर आती है। इसी तरह सच्चे धर्म से बेखबर मूर्खों के लिए जीवन-मृत्यु का सिलसिला भी उतना ही लंबा होता है।

6. निश्चित रूप से जो नाराजगी युक्त विचारों से मुक्त रहते हैं, वही जीवन में शांति पाते हैं।

7. अतीत में ध्यान केन्द्रित नहीं करना, ना ही भविष्य के लिए सपना देखना, बल्कि अपने दिमाग को वर्तमान क्षण में केंद्रित करना।

8. बुराई अवश्य रहना चाहिए, तभी तो अच्छाई इसके ऊपर अपनी पवित्रता साबित कर सकती है।

9. एक मूर्ख व्यक्ति एक समझदार व्यक्ति के साथ रहकर भी अपने पूरे जीवन में सच को उसी तरह से नहीं देख पाता, जिस तरह से एक चम्मच, सूप के स्वाद का आनंद नहीं ले पाता है। 

10. मौत एक विचलित मन वाले व्यक्ति को उसी तरह से बहा कर ले जाती है, जिस तरह से बाढ़ में एक गांव के (नींद में डूबे हुए) लोग बह जाते हैं।

11. अच्छे स्वास्थ्य में शरीर रखना एक कर्तव्य है, अन्यथा हम अपने मन को मजबूत और साफ रखने में सक्षम नहीं हो पाएंगे।

12. मैं कभी नहीं देखता क्या किया गया है, मैं केवल ये देखता हूं कि क्या करना बाकी है।

13. मन सभी मानसिक अवस्थाओं से ऊपर होता है।

14. जीवन में एक दिन भी समझदारी से जीना कहीं अच्छा है, बजाय एक हजार साल तक बिना ध्यान के साधना करने के।

15. आप अपने गुस्से के लिए दंडित नहीं हुए, आप अपने गुस्से के द्वारा दंडित हुए हो। 

16. जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, वैसे ही मनुष्य भी बिना आध्यात्मिक जीवन के नहीं जी सकता। 

17. किसी बात पर हम जैसे ही क्रोधित होते हैं, हम सच का मार्ग छोड़कर अपने लिए प्रयास करने लग जाते है।

18. हर इंसान अपने स्वास्थ्य या बीमारी का लेखक है।

19. मन सब कुछ है, तुम जैसा सोचते हो, वैसा ही बनते हो।

20. जिस तरह से तूफ़ान एक मजबूत पत्थर को हिला नहीं पाता, उसी तरह से महान व्यक्ति, तारीफ़ या आलोचना से प्रभावित नहीं होते।












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