Sunday, October 14, 2018
Sunday, September 30, 2018
Thought of Lord Buddha ...
1. शक की आदत सबसे खतरनाक है। शक लोगों को अलग कर देता है। यह दो अच्छे दोस्तों को और किसी भी अच्छे रिश्ते को बरबाद कर देता है।
2. अज्ञानी आदमी एक बैल के समान है। वह ज्ञान में नहीं, आकार में बढ़ता है।
3. क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकडे रहने के सामान है, इसमें आप ही जलते हैं।
4. इर्ष्या और नफरत की आग में जलते हुए इस संसार में खुशी और हंसी स्थाई नहीं हो सकती। अगर आप अँधेरे में डूबे हुए हैं, तो आप रौशनी की तलाश क्यों नहीं करते।
5. एक जागे हुए व्यक्ति को रात बड़ी लम्बी लगती है, एक थके हुए व्यक्ति को मंजिल बड़ी दूर नजर आती है। इसी तरह सच्चे धर्म से बेखबर मूर्खों के लिए जीवन-मृत्यु का सिलसिला भी उतना ही लंबा होता है।
6. निश्चित रूप से जो नाराजगी युक्त विचारों से मुक्त रहते हैं, वही जीवन में शांति पाते हैं।
7. अतीत में ध्यान केन्द्रित नहीं करना, ना ही भविष्य के लिए सपना देखना, बल्कि अपने दिमाग को वर्तमान क्षण में केंद्रित करना।
8. बुराई अवश्य रहना चाहिए, तभी तो अच्छाई इसके ऊपर अपनी पवित्रता साबित कर सकती है।
9. एक मूर्ख व्यक्ति एक समझदार व्यक्ति के साथ रहकर भी अपने पूरे जीवन में सच को उसी तरह से नहीं देख पाता, जिस तरह से एक चम्मच, सूप के स्वाद का आनंद नहीं ले पाता है।
10. मौत एक विचलित मन वाले व्यक्ति को उसी तरह से बहा कर ले जाती है, जिस तरह से बाढ़ में एक गांव के (नींद में डूबे हुए) लोग बह जाते हैं।
11. अच्छे स्वास्थ्य में शरीर रखना एक कर्तव्य है, अन्यथा हम अपने मन को मजबूत और साफ रखने में सक्षम नहीं हो पाएंगे।
12. मैं कभी नहीं देखता क्या किया गया है, मैं केवल ये देखता हूं कि क्या करना बाकी है।
13. मन सभी मानसिक अवस्थाओं से ऊपर होता है।
14. जीवन में एक दिन भी समझदारी से जीना कहीं अच्छा है, बजाय एक हजार साल तक बिना ध्यान के साधना करने के।
15. आप अपने गुस्से के लिए दंडित नहीं हुए, आप अपने गुस्से के द्वारा दंडित हुए हो।
16. जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, वैसे ही मनुष्य भी बिना आध्यात्मिक जीवन के नहीं जी सकता।
17. किसी बात पर हम जैसे ही क्रोधित होते हैं, हम सच का मार्ग छोड़कर अपने लिए प्रयास करने लग जाते है।
18. हर इंसान अपने स्वास्थ्य या बीमारी का लेखक है।
19. मन सब कुछ है, तुम जैसा सोचते हो, वैसा ही बनते हो।
20. जिस तरह से तूफ़ान एक मजबूत पत्थर को हिला नहीं पाता, उसी तरह से महान व्यक्ति, तारीफ़ या आलोचना से प्रभावित नहीं होते।
2. अज्ञानी आदमी एक बैल के समान है। वह ज्ञान में नहीं, आकार में बढ़ता है।
3. क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकडे रहने के सामान है, इसमें आप ही जलते हैं।
4. इर्ष्या और नफरत की आग में जलते हुए इस संसार में खुशी और हंसी स्थाई नहीं हो सकती। अगर आप अँधेरे में डूबे हुए हैं, तो आप रौशनी की तलाश क्यों नहीं करते।
5. एक जागे हुए व्यक्ति को रात बड़ी लम्बी लगती है, एक थके हुए व्यक्ति को मंजिल बड़ी दूर नजर आती है। इसी तरह सच्चे धर्म से बेखबर मूर्खों के लिए जीवन-मृत्यु का सिलसिला भी उतना ही लंबा होता है।
6. निश्चित रूप से जो नाराजगी युक्त विचारों से मुक्त रहते हैं, वही जीवन में शांति पाते हैं।
7. अतीत में ध्यान केन्द्रित नहीं करना, ना ही भविष्य के लिए सपना देखना, बल्कि अपने दिमाग को वर्तमान क्षण में केंद्रित करना।
8. बुराई अवश्य रहना चाहिए, तभी तो अच्छाई इसके ऊपर अपनी पवित्रता साबित कर सकती है।
9. एक मूर्ख व्यक्ति एक समझदार व्यक्ति के साथ रहकर भी अपने पूरे जीवन में सच को उसी तरह से नहीं देख पाता, जिस तरह से एक चम्मच, सूप के स्वाद का आनंद नहीं ले पाता है।
10. मौत एक विचलित मन वाले व्यक्ति को उसी तरह से बहा कर ले जाती है, जिस तरह से बाढ़ में एक गांव के (नींद में डूबे हुए) लोग बह जाते हैं।
11. अच्छे स्वास्थ्य में शरीर रखना एक कर्तव्य है, अन्यथा हम अपने मन को मजबूत और साफ रखने में सक्षम नहीं हो पाएंगे।
12. मैं कभी नहीं देखता क्या किया गया है, मैं केवल ये देखता हूं कि क्या करना बाकी है।
13. मन सभी मानसिक अवस्थाओं से ऊपर होता है।
14. जीवन में एक दिन भी समझदारी से जीना कहीं अच्छा है, बजाय एक हजार साल तक बिना ध्यान के साधना करने के।
15. आप अपने गुस्से के लिए दंडित नहीं हुए, आप अपने गुस्से के द्वारा दंडित हुए हो।
16. जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, वैसे ही मनुष्य भी बिना आध्यात्मिक जीवन के नहीं जी सकता।
17. किसी बात पर हम जैसे ही क्रोधित होते हैं, हम सच का मार्ग छोड़कर अपने लिए प्रयास करने लग जाते है।
18. हर इंसान अपने स्वास्थ्य या बीमारी का लेखक है।
19. मन सब कुछ है, तुम जैसा सोचते हो, वैसा ही बनते हो।
20. जिस तरह से तूफ़ान एक मजबूत पत्थर को हिला नहीं पाता, उसी तरह से महान व्यक्ति, तारीफ़ या आलोचना से प्रभावित नहीं होते।
Lord Buddha Quatation in Hindi
Lord Buddha Quotation in Hindi
"सभी गलत कार्य मन से ही उपजाते हैं | अगर मन परिवर्तित हो जाय तो क्या गलत कार्य रह सकता है |"
"एक निष्ठाहीन और बुरे दोस्त से जानवरों की अपेक्षा ज्यादा भयभीत होना चाहिए ; क्यूंकि एक जंगली जानवर सिर्फ आपके शरीर को घाव दे सकता है, लेकिन एक बुरा दोस्त आपके दिमाग में घाव कर जाएगा।"
"एक हजार खोखले शब्दों से एक शब्द बेहतर है जो शांति लता है |"
"अराजकता सभी जटिल बातों में निहित है| परिश्रम के साथ प्रयास करते रहो |"
"अतीत पर ध्यान केन्द्रित मत करो, भविष्य का सपना भी मत देखो, वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करो |"
"आप को जो भी मिला है उसका अधिक मूल्याङ्कन न करें और न ही दूसरों से ईर्ष्या करें. वे लोग जो दूसरों से ईर्ष्याकरते हैं, उन्हें मन को शांति कभी प्राप्त नहीं होती |"
"चतुराई से जीने वाले लोगों को मौत से भी डरने की जरुरत नहीं है |"
"घृणा, घृणा करने से कम नहीं होती, बल्कि प्रेम से घटती है, यही शाश्वत नियम है |"
"वह व्यक्ति जो 50 लोगों को प्यार करता है, 50 दुखों से घिरा होता है, जो किसी से भी प्यार नहीं करता है उसे कोई संकट नहीं है |"
"स्वास्थ्य सबसे महान उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन तथा विश्वसनीयता सबसे अच्छा संबंध है|"
"क्रोधित रहना, किसी और पर फेंकने के इरादे से एक गर्म कोयला अपने हाथ में रखने की तरह है, जो तुम्ही को जलती है |"
"आप चाहे कितने भी पवित्र शब्दों को पढ़ या बोल लें, लेकिन जब तक उनपर अमल नहीं करते उसका कोई फायदा नहीं है |"
"मनुष्य का दिमाग ही सब कुछ है, जो वह सोचता है वही वह बनता है |"
"जीभ एक तेज चाकू की तरह बिना खून निकाले ही मार देता है |"
"सत्य के रस्ते पर कोई दो ही गलतियाँ कर सकता है, या तो वह पूरा सफ़र तय नहीं करता या सफ़र की शुरुआत ही नहीं करता |"
"हजारों दियो को एक ही दिए से, बिना उसके प्रकाश को कम किये जलाया जा सकता है | ख़ुशी बांटने से ख़ुशी कभी कम नहीं होती |"
"तीन चीजों को लम्बी अवधि तक छुपाया नहीं जा सकता, सूर्य, चन्द्रमा और सत्य |"
"शरीर को स्वस्थ रखना हमारा कर्त्तव्य है, नहीं तो हम अपने दिमाग को मजबूत अवं स्वच्छ नहीं रख पाएंगे |"
"हम आपने विचारों से ही अच्छी तरह ढलते हैं; हम वही बनते हैं जो हम सोचते हैं| जब मन पवित्र होता है तो ख़ुशी परछाई की तरह हमेशा हमारे साथ चलती है |"
"अपने उद्धार के लिए स्वयं कार्य करें. दूसरों पर निर्भर नहीं रहें |"
"बिना सेहत के जीवन, जीवन नहीं है; बस पीड़ा की एक स्थिति है – मौत की छवि है।"-
"स्वस्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे बड़ा सम्बन्ध है।"
Tuesday, September 25, 2018
भगवान गौतम बुद्ध की जीवनी ! Lord Gautama Buddha Life History In Hindi
"हम जो कुछ भी है वो हमारी आज तक की सोच का ही परिणाम है। जब भी कोई काम करते समय बुरा सोचता या बुरा करता है तो उसे कष्ट ही मिलते है। लेकिन यदि कोई इंसान काम करते समय अच्छा सोचता या अच्छा करता है तो ख़ुशी हमेशा परछाई की तरह उसके साथ रहती है।”
दुनिया को अपने विचारो से नया रास्ता दिखाने वाले भगवान गौतम बुद्ध भारत के महान दार्शनिक, वैज्ञानिक, धर्मगुरु, एक महान समाज सुधारक और बौद्ध धर्म के संस्थापक थे. बुद्ध की शादी यशोधरा के साथ हुई. इस शादी से एक बालक का जन्म हुआ था जिसका नाम राहुल रखा था लेकिन विवाह के कुछ समय बाद गौतम बुद्ध ने अपनी पत्नी और बच्चे को त्याग दिया.
वे संसार को जन्म, मरण और दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश व सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात के समय अपने राजमहल से जंगल की ओर चले गये थे. बहुत सालों की कठोर साधना के बाद बोध गया (बिहार) में बोधी वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से गौतम बुद्ध बन गये.
नाम – सिद्धार्थ गौतम बुद्ध
जन्म – 563 ईसा पूर्व लुम्बिनी, नेपाल
मृत्यु – 483 ईसा पूर्व कुशीनगर, भारत
शादी – राजकुमारी यशोधरा
बच्चें – एक पुत्र, राहुल
पिता का नाम – शुद्धोदन (एक राजा और कुशल शासक)
माता का नाम – माया देवी (महारानी)
बौद्ध धर्म की स्थापना – चौथी शताब्दी के दौरान
जन्म – 563 ईसा पूर्व लुम्बिनी, नेपाल
मृत्यु – 483 ईसा पूर्व कुशीनगर, भारत
शादी – राजकुमारी यशोधरा
बच्चें – एक पुत्र, राहुल
पिता का नाम – शुद्धोदन (एक राजा और कुशल शासक)
माता का नाम – माया देवी (महारानी)
बौद्ध धर्म की स्थापना – चौथी शताब्दी के दौरान
आज पुरे वर्ल्ड में करीब 190 करोड़ बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं और बौद्ध धर्म के अनुयायी लोगो की संख्या विश्व में 25% हैं. एक सर्वे के अनुसार इसमें – चीन, जापान, वियतनाम, थाईलेंड, मंगोलिया, कंबोडिया, भूटान, साउथ कोरिया, hong-kong, सिंगापूर, भारत, मलेशिया, नेपाल, इंडोनेशिया, अमेरिका और श्रीलंका आदि देश आते हैं जिसमे भूटान, श्रीलंका और भारत में बौद्ध धर्म के अनुयायी ज्यादा संख्या में हैं.
भगवान गौतम बुद्ध का जीवन परिचय :
गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व के समय कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी नेपाल में हुआ था. कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी के अपने देवदह जाते हुए रास्ते में प्रसव पीड़ा हुई जिसमे एक बालक का जन्म हुआ था. गौतम गौत्र में जन्म लेने के कारण वे गौतम बुद्ध कहलाये. इनके पिता शुदोधन एक राजा थे इनकी माता माया देवी कोली वंश की महिला थी लेकिन बालक के जन्म देने के बाद 7 दिन के अंदर माया देवी की मृत्यु हो गयी थी.
जिसके बाद इनका लालन-पालन इनकी मौसी और राजा की दूसरी पत्नी रानी गौतमी ने की और इस बालक का नाम सिद्धार्थ रख दिया गया. इस नाम का मतलब होता हैं जो सिद्धि प्राप्ति के लिये जन्मा हो लेकिन इनको बाद में सिद्धि मिली थी. सिद्धार्थ बचपन से बहुत की दयालु और करुणा वाले व्यक्ति थे.
सिद्धार्थ बचपन में जब खेल खेलते थे तब वे स्वंय हार जाते थे क्योंकि वें दूसरों को दुःख नहीं देना चाहते थे. सिद्धार्थ का एक चचेरा भाई भी हैं जिसका नाम हैं देवदत्त हैं. एक बार देवदत्त ने अपने धनुष से एक बाण चलाया था जिससे एक पक्षी हंस घायल हो गया था और बाद में सिद्धार्थ ने उस घायल हंस की रक्षा की थी.
भगवान गौतम बुद्ध की शिक्षा, विवाह और तपस्या :
सिद्धार्थ ने अपनी शिक्षा गुरु विश्वामित्र से पूरी की. उन्होंने वेद और उपनिषद के साथ-साथ युद्ध विद्या की भी शिक्षा प्राप्त की. सिद्धार्थ को बचपन से घुड़सवारी, धनुष – बाण और रथ हांकने वाला एक सारथी में कोई दूसरा मुकाबला नहीं कर सकता था. सिद्धार्थ की शादी मात्र 16 साल की आयु में राजकुमारी यशोधरा के साथ हुई थीं और इस शादी से एक बालक का जन्म हुआ था, जिसका नाम राहुल रखा था लेकिन उनका मन घर और मोह माया की दुनिया में नहीं लगा और वे घर परिवार को त्याग कर जंगल में चले गये थे.
पिता और राजा शुद्दोधन ने सिद्धार्थ के लिये भोग-विलास का भरपूर इंतजाम भी किया था. पिता ने अपने बेटे के लिए 3 ऋतु के हिसाब से 3 महल भी बनाये थें जिसमे नाच-गान औए ऐसो आराम की सारी व्यवस्था मौजूद थी लेकिन ये चीजें सिद्धार्थ को अपनी ओर नहीं खींच सकी. सिद्धार्थ ने अपनी सुंदर पत्नी और सुंदर बालक को छोड़कर वन की ओर चले जाने का निश्चय किया.
सिद्धार्थ ने वन जाकर कठोर से भी कठोर तपस्या करना शुरू कर दिया. पहले तो सिद्धार्थ ने शुरू में तिल चावल खाकर तपस्या शुरू की लेकिन बाद में तो बिना खान-पान के तपस्या करना शुरू कर दिया. कठोर ताप करने के कारण उनका शरीर सुख गया था तप करते-करते 6 साल हो गये थे. एक दिन सिद्धार्थ वन में तपस्या कर रहे थें कि अचानक कुछ महिलाये किसी नगर से लौट रही थीं वही रास्ते में सिद्धार्थ तप कर रहे थें.
महिलाएं कुछ गीत गा रही थीं उनका एक गीत सिद्धार्थ के कानों में पड़ा था गीत था ” वीणा के तारों को ढीला मत छोड़ दों ” तारों को इतना छोडो भी मत कि वें टूट जायें सिद्धार्थ को कानों में पड़ गयी और वे यह जान गये की नियमित आहार-विहार से योग सिद्ध होता हैं, अति किसी बात की अच्छी नहीं. किसी भी प्राप्ति के लिये माध्यम मार्ग ही ठीक होता हैं, इसके लिये कठोर तपस्या करनी पड़ती हैं.
भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति :
वैशाखी पूर्णिमा के दिन सिद्धार्थ वटवृक्ष के नीचे ध्यानपूर्वक अपने ध्यान में बैठे थे. गाँव की एक महिला नाम सुजाता का एक पुत्र हुआ था, उस महिला ने अपने पुत्र के लिये उस वटवृक्ष से एक मन्नत मांगी थीं जो मन्नत उसने मांगी थी वो उसे मिल गयी थी और इसी ख़ुशी को पूरा करने के लिये वह महिला एक सोने के थाल में गाय के दूध की खीर भरकर उस वटवृक्ष के पास पहुंची थीं.
उस महिला ने बड़े आराम से सिद्धार्थ को खीर भेंट की और कहा जैसे मेरी मनोकामना पूरी हुई उसी तरह आपकी भी हो. उसी रात को ध्यान लगाने पर सिद्धार्थ की एक साधना सफल हो गयी थीं, उसे सच्चा बोध हुआ तभी से सिद्धार्थ बुद्ध कहलाए. जिसे पीपल वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ को बोध मिला था वह वृक्ष बोधिवृक्ष कहलाया और गया का सीमावर्ती जगह बोधगया कहलाया.
भगवान गौतम बुद्ध का धर्म चक्र और परिवर्तन :
वें 80 वर्ष तक अपने धर्म का संस्कृत के बजाय उस समय की सीधी सरल लोकभाषा पली में प्रचार करते रहें तथा की धर्म लोकप्रियता तेजी से बढ़ने लगी. 4 सप्ताह तक बोधिवृक्ष के नीचे रहकर धर्म के स्वरुप का चिंतन करने के बाद बुद्ध धर्म का उपदेश करने निकल पड़े. पहले उन्होंने 5 मित्रों को अपना अनुयायी बनाया और फिर उन्हें धर्म प्रचार करने के लिये भेज दिया.
पाली सिद्दांत के सूत्र के अनुसार 80 वर्ष की आयु में बुद्ध ने यह घोषणा की. गौतम बुद्ध ने अपना आखिरी भोजन जिसे उन्होंने कुंडा नामक एक लोहार से एक भेंट के रूप में प्राप्त किया था उसे ग्रहण किया, जिसके कारण वे गंभीर रूप से बीमार पड़ गये. गौतम बुद्ध ने अपने शिष्य आनंद को एक निर्दश दिया था कि वह कुंडा को समझाए कि उसने कोई गलती नहीं की हैं, उन्होंने कहा कि यह भोजन महान और अतुलनीय हैं.
गौतम बुद्ध के उपदेश :
भगवान बुद्ध ने लोगो को मध्यम का रास्ता अपनाने का उपदेश दिया. उन्होंने दुःख उसके कारण और निरावरण के लिये अहिंसा पर बहुत जोर दिया. जीवों पर दया करो.. गौतम बुद्ध ने हवन और पशुबलि की जमकर निंदा की हैं. बुद्ध के कुछ उपदेशों के सार इस प्रकार हैं-
* महात्मा बुद्ध ने सनातन धर्म के कुछ संकल्पाओं का प्रचार और प्रसार किया था जैसे – अग्निहोत्र और गायत्री मन्त्र
* ध्यान और अंत-दृष्टी
* मध्य मार्ग का अनुसरण
* चार आर्य सत्य
* अष्टांग रास्तें
* महात्मा बुद्ध ने सनातन धर्म के कुछ संकल्पाओं का प्रचार और प्रसार किया था जैसे – अग्निहोत्र और गायत्री मन्त्र
* ध्यान और अंत-दृष्टी
* मध्य मार्ग का अनुसरण
* चार आर्य सत्य
* अष्टांग रास्तें
प्रमुख कार्य और बौद्ध धर्म :
बौद्ध धर्म में गौतम बुद्ध एक विशेष व्यक्ति हैं बौद्ध धर्म का धर्म अपनी शिक्षाओं में अपनी नीवं रखता हैं. बौद्ध धर्म के 8 गुना पथ का प्रस्ताव रखा हैं. वर्ल्ड के महान धर्मो में से एक बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महात्मा गौतम बुद्ध ने देश ही नहीं विदेशों में भी अपना अमिट प्रभाव छोड़ा हैं
* चोट लगने पर दर्द होगा और कष्ट विकल्प हैं.
* हमेशा याद रखे एक गलती दिमाग पर उठाएं वह भारी बोझ के समान हैं.
* आप तक रास्ते पर नहीं चल सकते जब तक आप खुद अपना रास्ता नहीं बना लेते.
* हमेशा याद रखे एक गलती दिमाग पर उठाएं वह भारी बोझ के समान हैं.
* आप तक रास्ते पर नहीं चल सकते जब तक आप खुद अपना रास्ता नहीं बना लेते.
गौतम बुद्ध के जीवन के सफल मन्त्र :
* गुस्सा एक हानिकारक हथियार हैं – गुस्सा अपने दुश्मनों की हत्या करने के साथ-साथ आपकी भी हत्या करता हैं जब आप बहुत ज्यादा गुस्से में होते हैं तब आपके शब्द ही आपको धोखा देते हैं.
* आपको कभी अपने गुस्से के लिये सजा नहीं दी जाती बल्कि आपको अपने गुस्से द्वारा ही सजा दी जाती हैं.
* हमारे विचारों द्वारा ही हमारी बढाई की जाती हैं. हम वही बनते हैं जैसा हम सोचते हैं, जब आपका दिमाग साफ रहेगा. तब खुशिया आपके साथ आपकी परछाई बनकर हमेशा साथ रहेगीं.
* जब आपको कोई फूल पसंद आता हैं तो आप उसे तोड़ लेते हो लेकिन जब आप किसी फूल से प्यार करते हो तो आप उसे हर रोज पानी देते हो.
* बूंद-बूंद से पानी का घड़ा भरता है.
* किसी छोटे काम की शुरुआत करना किसी बड़े काम को अंत देने की शुरुआत हैं. यह कोई मायने नहीं रखता की आपने शुरुआत छोटे से की या बड़े से यदि आप उस शुरुआत को अंत तक ले जाते हो तो आप एक दिन वो सबकुछ हासिल कर सकेंगे जो आप चाहोगे.
* जिंदगी एक लंबी यात्रा हैं और आप एक यात्री की तरह हो इसलिये बेहतर होगा की हम जिये और अच्छी तरह से यात्रा करे ना कि भविष्य के बारे में रहकर खुश रहना ही life का असली एन्जॉय हैं. हमें भूतकाल और भविष्य में रहकर चिंतित होने की बजाय वर्तमान में रहकर खुश रहना चाहिए.
* भले ही आप गंदगी से घिरे हो लेकिन बुराई का विरोध करने की आप में शक्ति का भंडार समाहित हैं.
* आपको कभी अपने गुस्से के लिये सजा नहीं दी जाती बल्कि आपको अपने गुस्से द्वारा ही सजा दी जाती हैं.
* हमारे विचारों द्वारा ही हमारी बढाई की जाती हैं. हम वही बनते हैं जैसा हम सोचते हैं, जब आपका दिमाग साफ रहेगा. तब खुशिया आपके साथ आपकी परछाई बनकर हमेशा साथ रहेगीं.
* जब आपको कोई फूल पसंद आता हैं तो आप उसे तोड़ लेते हो लेकिन जब आप किसी फूल से प्यार करते हो तो आप उसे हर रोज पानी देते हो.
* बूंद-बूंद से पानी का घड़ा भरता है.
* किसी छोटे काम की शुरुआत करना किसी बड़े काम को अंत देने की शुरुआत हैं. यह कोई मायने नहीं रखता की आपने शुरुआत छोटे से की या बड़े से यदि आप उस शुरुआत को अंत तक ले जाते हो तो आप एक दिन वो सबकुछ हासिल कर सकेंगे जो आप चाहोगे.
* जिंदगी एक लंबी यात्रा हैं और आप एक यात्री की तरह हो इसलिये बेहतर होगा की हम जिये और अच्छी तरह से यात्रा करे ना कि भविष्य के बारे में रहकर खुश रहना ही life का असली एन्जॉय हैं. हमें भूतकाल और भविष्य में रहकर चिंतित होने की बजाय वर्तमान में रहकर खुश रहना चाहिए.
* भले ही आप गंदगी से घिरे हो लेकिन बुराई का विरोध करने की आप में शक्ति का भंडार समाहित हैं.
Sunday, September 23, 2018
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इंटरनेट के क्षेत्र में ब्लॉग एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसने आम जन को भी इंटरनेट की दुनिया में योगदान देने के लिए आकर्षित किया है अगर सरल शब्दों में कहें तो ” ब्लॉग एक ऐसा कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम है जो हमे सरलतम तरीके से विजुअल एडिटर की मदद से वेब पेज बनाने की आजादी देता है |”
ब्लॉग किसी भी विषय पर हो सकता है खासकर तब जब आप किसी विषय विशेष के बारे में अच्छी जानकारी रखते है और लोगो से उसे साझा करना चाहते है तो ब्लॉग आपके लिए बेहतरीन प्लेटफार्म हो सकता है
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